

Kesari Veer Review: इतिहास की वीरगाथा, लेकिन पटकथा ने किया न्याय नहीं!
Kesari Veer Review: इतिहास की वीरगाथा, लेकिन पटकथा ने किया न्याय नहीं!
भारतीय इतिहास की कई गुमनाम वीर गाथाएं अब सिनेमा के ज़रिए सामने आ रही हैं। ऐसी ही एक कोशिश की गई है फिल्म ‘Kesari Veer’ में, जिसमें सूरज पंचोली ने राजपूत योद्धा हमीरजी गोहिल का किरदार निभाया है — वो योद्धा जिन्होंने सोमनाथ मंदिर की रक्षा के लिए अपनी जान की बाज़ी लगाई थी। इस ऐतिहासिक कहानी को निर्देशक प्रिंस धीमान और लेखक-निर्माता कनुभाई चौहान ने पर्दे पर उतारा है।
कहानी का सार:
कहानी 14वीं सदी में सेट है, जब तुगलकी आक्रमणकारी भारत में आतंक फैलाने लगे थे। हमीरजी गोहिल (सूरज पंचोली) और उनके प्रेम संबंध राजल (आकांक्षा शर्मा) के साथ विकसित होते हैं, जबकि जलालुद्दीन जफर खान (विवेक ओबेरॉय) सोमनाथ मंदिर को लूटने के इरादे से आता है। हमीरजी उसका सामना करते हैं और साथ देते हैं भील नेता वेगड़ाजी (सुनील शेट्टी)। कहानी में वीरता है, बलिदान है, पर फिल्म इसे गहराई से दिखा नहीं पाई।
क्या है खास?
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सुनील शेट्टी का अभिनय फिल्म का मजबूत पक्ष है।
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VFX और cinematography कुछ दृश्यों में भव्य हैं, खासकर कैलाश खेर का गाया “शंभू हर हर” बैकग्राउंड में माहौल बना देता है।
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सौराष्ट्र की संस्कृति को अच्छे से दिखाया गया है।
कहाँ चूकी फिल्म?
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स्क्रिप्ट और डायलॉग में गहराई की कमी।
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फिल्म का मुख्य फोकस युद्ध की बजाय प्रेम कहानी पर ज़्यादा रहा।
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विवेक ओबेरॉय जैसे अभिनेता को अधिक प्रभावशाली बनाया जा सकता था।
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सूरज पंचोली को भाव-प्रदर्शन में और मेहनत की ज़रूरत है।
एक्टिंग प्रदर्शन:
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सूरज पंचोली एक्शन में ठीक लगे लेकिन इमोशंस में कमजोर दिखे।
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सुनील शेट्टी दमदार हैं और हर फ्रेम में प्रभाव छोड़ते हैं।
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विवेक ओबेरॉय की भूमिका प्रभावी हो सकती थी, पर स्क्रिप्ट ने निराश किया।
निष्कर्ष:
Kesari Veer एक प्रेरणादायक कहानी को पर्दे पर लाने का साहसिक प्रयास है, लेकिन कमजोर screenplay और script execution फिल्म की आत्मा को पूरी तरह पकड़ नहीं पाता। फिर भी, यह फिल्म उन दर्शकों के लिए ज़रूर है जो इतिहास से जुड़े भावुक पहलुओं को सिनेमाई रूप में देखना चाहते हैं।
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